Menu
blogid : 5736 postid : 185

सावधान रहना होगा अन्‍ना को

जागरण मेहमान कोना
जागरण मेहमान कोना
  • 1877 Posts
  • 341 Comments

हिंदुस्तान की राजनीति की जरा भी समझ रखने वाला कोई भी आदमी दावे से यह कह सकता है कि अगर 16 अगस्त को अन्ना हजारे दूसरी बार अनशन पर बैठे तो उसका हश्र क्या होगा? इसके लिए आपको सियासी गलियारों का चौकीदार होना जरूरी नहीं है। जिस तरह से सरकार के मंत्री, कांग्रेस के नेता और उस पर से आगे विपक्षी राजनेता अन्ना के विरुद्ध एकजुट हो गए हैं तथा इशारों-इशारों में धमकाने की कोशिश कर रहे हैं, उससे आने वाले कल की तस्वीर साफ-साफ दिखाई पड़ रही है। अभी हाल तक अपने सोफेस्टीकेशन के लिए जाने जाने वाले सलमान खुर्शीद ने जिस तरह से कहा है कि 16 अगस्त को अगर अन्ना अनशन पर बैठे ही तो क्या होगा, कोई नहीं जानता? यह दरअसल एक इशारा है। इसमें देख लेने की धमकी भी छिपी है और समय रहते अन्ना के लिए चेत जाने की चेतावनी भी है, लेकिन बहुत खूबसूरती से इस पूर मसले को संसद बनाम अन्ना हजारे का रंग दे दिया गया है। अन्ना एक तरह से फंस गए हैं। वैसे भी कहते हैं कि बंधी मुट्ठी लाख की, खुली मुट्ठी खाक की। अन्ना की मुट्ठी खुल चुकी है। 5 अप्रैल का उनके अनशन ने जिस अंदाज में पूरे देश में एक बदलाव की लहर उठा दिया था, उसमें अगर सरकार धोखा खा जाती तो परिवर्तन तक की नौबत आ जाती, लेकिन उससे वह बच निकली है तो अब 16 अगस्त से शुरू होने वाले अनशन के लिए वह किसी भी हद तक चाक-चौबंद व्यवस्था बनाएगी।


देखा जाए तो अन्ना ने सरकार के लिए एक मौका दिया है। पहले तो अन्ना का खेल बिगाड़ा बाबा रामदेव ने। वैसे देखा जाए तो अन्ना और बाबा रामदेव दोनों के साथ कुछ दिक्कतें भी हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि अन्ना हजारे और बाबा रामदेव दोनों ही भ्रष्टाचार, काला धन और गरीबों की बात कर रहे हैं। सैद्धांतिक रूप से सरकार क्या देश के भ्रष्ट और महा भ्रष्ट लोग भी यही कहेंगे कि दोनों का उद्देश्य बहुत ही महान है। बावजूद इसके यह कहने की जरूरत नहीं है कि जिन लोगों के हित इस तरह के उद्देश्यों के विपरीत हैं, वह कभी और कतई नहीं चाहेंगे कि देश में बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के लिए माहौल बने। कहते हैं न कि राजनीति में सबसे माहिर खिलाड़ी वही होता है, जो चित को भी अपनी सफल रणनीति का हिस्सा बना ले और पट को भी अपनी जीत साबित कर दे। इस सरकार ने वही किया। बाबा रामदेव ने पहले चार-चार मंत्रियों को आगवानी में लगाकर अन्ना हजारे को समकक्ष खड़ा करने की कोशिश की गई, लेकिन जब बाबा अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते तय योजना से ज्यादा फिसल गए तो बाबा को ठिकाने लगाकर जनता और अन्ना हजारे को यह मैसेज दिया गया कि अगर आप नहीं माने तो आपका भी यही हश्र होगा।


आखिर सलमान खुर्शीद जिस अंदाज में अन्ना हजारे को देख लेने के लिए कह रहे हैं, उसका और मतलब क्या है? भले अपनी वाकपटुता के सहारे सलमान खुर्शीद इस पूरे वक्तव्य के नए, मासूम और राष्ट्रहित के अर्थ और संदर्भ निकाल दें, लेकिन पहली नजर में इसके जो मतलब समझ में आ रहे हैं, वह यही हैं कि अन्ना को ध्मकी दी जा रही है कि वह जहां हैं, चुपचाप वहीं बने रहें। अगर जिद पर अड़े तो अंजाम रामदेव जैसा ही होगा। अन्ना आप इस धमकी को सुन लीजिए और डर भी जाइए। डरना बहादुरी का ही एक हिस्सा होता है। महाभारत में जब शल्य कर्ण से कहता है कि क्या तुम्हें सफेद घोड़ों वाले अर्जुन के रथ को देखकर डर लगा? तो कर्ण कहता है कि वह काठ के घोड़े होंगे, जो डरा नहीं करते। अन्ना आपको अभिमन्यु बनाए जाने की तैयारी हो गई है।


सरकार ने पूरा प्रपंच रच दिया है कि आप उसके नहीं संसद के विरुद्ध आंदोलन करने जा रहे हैं। संसद की अवमानना करने जा रहे हैं। इन आरोपों के सहारे वह आपको आसानी से ठिकाने लगा देगी। इसलिए बेहतर है कि आप इतनी ही सरलता से 16 अगस्त को अनशन में न बैठें, जिससे कि सरकार को सोची समझी रणनीति का हिस्सा बन जाएं। देश को समझने दीजिए कि सरकार या राजनीतिक पार्टियां किस हद तक जा सकती हैं। देश खुद ही इन सबका फैसला कर देगा। चाहे भाजपा हो या वामपंथी दल। सभी इस बात पर एकमत हैं कि लोकपाल पर जो भी समझौता हो, वह राजनीतिक पार्टियों की सर्वसम्मति से हो। क्योंकि उन्हें पता है कि एक बार जब सत्ता की सर्वोच्च धुरी इसकी निगरानी में आ गई तो बाकी सियासतदां भी इसके कोड़े से बच नहीं पाएंगे। इसलिए कोई राजनीतिक पार्टी नहीं चाहती कि ईमानदारी से देश के प्रति जवाबदेह और संवेदनशील तथा तर्कसम्मत लोकपाल बने।


लेखक लोकमित्र वरिष्ठ पत्रकार हैं.


Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh