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तकनीक की दुनिया का युग पुरुष

जागरण मेहमान कोना
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Balenduदुनिया की शीर्ष आइटी कंपनी एपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने कई साल तक कैंसर से लड़ने के बाद पांच अक्टूबर को इस दुनिया से विदा ले ली। महज 56 साल की उम्र में स्टीव जॉब्स का चला जाना न सिर्फ सूचना प्रौद्योगिकी जगत बल्कि पूरी दुनिया के लिए बहुत बड़ा आघात है। वह सिर्फ सपने देखने वाले ही नहीं थे, बल्कि सपनों को सच करके भी दिखाते थे। वह अपनी तकनीकों, उत्पादों और विचारों के जरिए विश्व में क्रांतिकारी बदलाव लाए। आइटी की दुनिया में तकनीक का सृजन करने वाले तो बहुत हैं, लेकिन उसे सामान्य लोगों के अनुरूप ढालने और खूबसूरत रूप देने वाले बहुत कम। स्टीव जॉब्स एक बहुमुखी प्रतिभा, एक पूर्णतावादी, करिश्माई तकनीकविद और अद्वितीय रचनाकर्मी थे। तकनीक के संदर्भ में उन्हें एक पूर्ण पुरुष कहना गलत नहीं होगा। उनके देखे 56 वसंतों के दौरान अगर यह विश्व क्रांतिकारी ढंग से बदल गया है तो इसमें खुद स्टीव जॉब्स की भूमिका भी कम नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए बिल्कुल सही कहा कि स्टीव की सफलता के प्रति इससे बड़ी श्रद्धांजलि और क्या होगी कि विश्व के एक बड़े हिस्से को उनके निधन की जानकारी उन्हीं के द्वारा आविष्कृत किसी न किसी यंत्र के जरिए मिली।


स्टीव जॉब्स का जीवन अनगिनत पहलुओं, किंवदंतियों और प्रेरक कथाओं का अद्भुत संकलन रहा है। हर मामले में वह दूसरों से अलग किंतु शीर्ष पर दिखाई दिए। चाहे वह एपल से निकलने के बाद का संघर्ष हो या फिर लंबी जद्दोजहद के बाद उसी एपल में वापसी और फिर उसे आइटी की महानतम कंपनी बनाने की उनकी सफलता। माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स के साथ उनकी लंबी प्रतिद्वंद्विता के भी दर्जनों किस्से रहे हैं। दोनों किसी समय साथ-साथ थे, किंतु बाद में अलग-अलग रास्तों पर चले गए। सकारात्मक प्रतिद्वंद्विता की इस प्रेरक दंतकथा के उतार-चढ़ाव तकनीकी विश्व के बाकी दिग्गजों के लिए सीखने के नए अध्याय बनते चले गए। किंतु अंतत: स्टीव एक विजेता के रूप में विदा हुए। कोई डेढ़ साल पहले एपल ने माइक्रोसॉफ्ट को पछाड़कर दुनिया की सबसे बड़ी तकनीकी कंपनी बनने का गौरव प्राप्त किया। और इसके पीछे यदि किसी एक व्यक्ति की प्रेरणा, लगन, प्रतिभा और उद्यमिता थी तो वह थे स्टीव जॉब्स। स्टीव के योगदान को बिल गेट्स से बेहतर कौन आंक सकता है, जिन्होंने उनके निधन पर कहा कि दुनिया पर किसी एक व्यक्ति द्वारा इतना जबरदस्त प्रभाव डालने की मिसाल दुर्लभ ही है। स्टीव के योगदान का प्रभाव आने वाली पीढि़यां भी महसूस करेंगी। विलक्षण थे स्टीव जॉब्स। वह सामान्य वैज्ञानिकों, तकनीकी विशषज्ञों, शोधकर्ताओं, विद्वानों, अन्वेषकों, आविष्कारकों, उद्यमियों में नहीं गिने जा सकते। वह तो ये सब थे, बल्कि उससे भी कहीं अधिक एक भविष्यदृष्टा। तकनीक में वह शीर्ष पर पहुंचे, डिजाइन में उनका कोई सानी नहीं था, मार्केटिंग तथा ब्रांडिंग के दिग्गज भी उनकी रणनीतियों का विश्लेषण करने में लगे रहते थे। वह आगे चलने वाले व्यक्ति थे, बाकी लोग बस उनका अनुगमन करते थे। स्टीव इस सहश्चाब्दि की महान प्रतिभा थे।


स्टीव ने हमेशा बड़े सपने देखे, बड़ी कल्पनाएं कीं। जब कंप्यूटिंग की दुनिया काली स्क्रीनों से जद्दोजहद करती थी, वे मैकिंटोश कंप्यूटरों के माध्यम से ग्राफिकल यूजर इंटरफेस; कंप्यूटर की चित्रात्मक मॉनीटर स्क्रीन ले आए। जब इस मशीन के साथ हमारा संवाद कीबोर्ड तक सिमटा हुआ था तब उन्होंने माउस को लोकप्रिय बनाकर कंप्यूटिंग को काफी आसान और दोस्ताना बना दिया। कंप्यूटर के सीपीयू टावर का झंझट खत्म कर उसे मॉनीटर के भीतर ही समाहित कर दिया तो सिंगल इलेक्ट्रिक वायर कंप्यूटिंग डिवाइस पेश कर हमें तारों के जंजाल में उलझने से बचाया। इसके बाद आइपॉड , आइफोन (2007) तथा आइपैड (2010) की अपरिमित सफलता हमारे सामने आई। जब दुनिया कीबोर्ड और मोबाइल कीपैड में उलझी थी, तो उन्होंने हमें टचस्क्रीन से परिचित कराया। एपल से अनुपस्थिति के वषरें में भी उन्होंने एक बहुत बड़ी एनीमेशन ग्राफिक्स कंपनी को जन्म दिया, जिसका नाम था पिक्सर एनीमेशन। यह एक अलग ही क्षेत्र था-एनीमेशन फिल्मों का, जिसमें उनकी सफलता ने डिज्नी जैसे महारथी को भी चिंतित कर दिया था।


स्टीव जॉब्स थे ही ऐसे। अनूठे, अलग, मनमौजी किंतु परिणाम देने के लिए किसी भी हद तक जाने वाले। भारत से उनका गहरा रिश्ता रहा। स्टीव ने भारत में घूम-घूमकर मानसिक शांति की तलाश का उपक्रम किया। इसी आध्यात्मिक गहराई ने स्टीव के व्यक्तित्व और प्रतिभा को वह गहनता दी होगी, जिसके बल पर उन्होंने न सिर्फ तकनीकी विश्व के दिग्गजों के साथ प्रतिद्वंद्विता में कभी हार नहीं मानी, बल्कि कैंसर जैसे अपराजेय प्रतिद्वंद्वी के सामने भी प्रबल आत्मबल का परिचय दिया।


स्टीव जानते थे कि उनके इलाज की अपनी सीमाएं हैं और तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें जाना होगा। छह साल पहले उन्होंने कहा था, ‘इस बात का अहसास कि जल्दी ही मेरा निधन हो जाएगा, मेरे जीवन का सबसे बड़ा साधन है जो मुझे बड़े निर्णय करने के लिए प्रेरित करता है। इस अहसास ने मुझे किसी भी चीज को खोने की आशंकाओं के जंजाल से मुक्त कर दिया है। तुम्हारा समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और का जीवन जीकर व्यर्थ मत करो। सिर्फ अपनी आत्मा की आवाज पर चलो।’ यही आध्यात्मिक और आत्मिक गहराई स्टीव जॉब्स को वह ऊंचाई देती है, जिसका पर्याय उनका आदर्श जीवन बना। स्टीफन पॉल जॉब्स अपनी कल्पनाओं, हौसलों, प्रेरणाओं और लक्ष्यों में हम आपका अक्स देख सकते हैं। कम लोग होते हैं जो दुनिया पर वैसी अमिट छाप छोड़कर जाते हैं, जैसी आपने छोड़ी।


लेखक बालेंदु शर्मा दाधीच स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं


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