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विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं प्राप्त करने के बावजूद भारत सुपर कंप्यूटरों की दुनिया में पिछड़ता जा रहा है। विश्व के 500 तेज सुपर कंप्यूटरों की सूची में भारत की उपस्थिति लगातार कम हो रही है। नवंबर में जारी टॉप 500 सूची में भारत के सिर्फ 2 सुपर कंप्यूटरों को ही जगह मिल पाई है। भारत के जिन दो सुपर कंप्यूटरों को सूची में जगह मिली है, वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रापिकल मेट्रोलॉजी और टाटा की कंप्यूटेशनल रिसर्च लेबोरेट्रीज में कार्यरत हैं। भारत के लिए सबसे अच्छा साल 2006 था। उस साल जून में भारत के 11 और नवंबर में 10 सुपर कंप्यूटर शीर्ष सूची में जगह पाने में कामयाब हो गए थे। भारत को तब छठी रैंक मिली थी, लेकिन इस साल 27 देशों की सूची में हमारा स्थान नीचे से पांचवां है। सुपर कंप्यूटरों के मामले में पृष्ठभूमि में खिसकने का मतलब यह है कि एशिया के दूसरे देश हाई परफोर्मेंस कंप्यूटिंग (एचपीसी) के क्षेत्र में भारत से कहीं ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और ज्यादा धन खर्च कर रहे हैं। विज्ञान में चुनौतीपूर्ण समस्याओं से निपटने के लिए की जाने वाली उच्चस्तरीय रिसर्च में बहुत ज्यादा कंप्यूटिंग और डेटा की जरूरत पड़ती है। ब्रह्वाण्ड-विज्ञान, भौतिकी, बायोइंफोर्मेटिक्स, मौसम पूर्वानुमान, जलवायु-मॉडलिंग, आणविक-मॉडलिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में गहन रिसर्च के लिए अत्यधिक डेटा की मांग एचपीसी अथवा सुपर कंप्यूटरों द्वारा ही पूरी की जा सकती है।
सुपर कंप्यूटरों की संख्या से यह अंदाजा लगता है कि समस्याओं के हल के लिए देश द्वारा किए जा रहे प्रयास कितने विविध हैं और किस पैमाने पर किए जा रहे है, इस मामले में भारत चीन से बहुत पीछे चल रहा है। सुपर कंप्यूटर की ताकत का अंदाजा उसकी स्पीड से लगाया जाता है। यह देखा जाता है कि मशीन एक सेकंड में कितनी गणना कर सकती है। कंप्यूटर की स्पीड बताने के लिए गीगाफ्लॉप, टेराफ्लॉप और पेटाफ्लॉप जैसे शब्दों का प्रयोग होता है। गीगाफ्लॉप का मतलब है प्रति सेकंड 1 अरब फ्लोटिंग पाइंट आपरेशंस। टेराफ्लॉप में एक सेकंड के अंदर एक ट्रिलियन (1000 अरब) फ्लॉटिंग पाइंट आपरेशंस होते हैं, जबकि पेटाफ्लॉप में यह संख्या 1000 ट्रिलियन होती है। जापान के कोबे स्थित रिकेन एडवांस्ड इंस्टीट्यूट फॉर कंप्यूटेशनल साइंस में कार्यरत के-कंप्यूटर 10.5 पेटाफ्लॉप्स की स्पीड से अपनी गणनाए करता है। टॉप 500 की नवंबर की सूची में इस सुपर कंप्यूटर को पहला स्थान मिला है। सूची में 85वां स्थान हासिल करने वाले टाटा सुपर कंप्यूटर की अधिकतम कंप्यूटिंग स्पीड 132.8 टेराफ्लॉप्स है। शीर्ष सुपर कंप्यूटरों की सूची में चीन के तियान्हे-1ए सिस्टम को दूसरा स्थान मिला है, जिसकी परफार्मेंस स्पीड 2.57 पेटाफ्लॉप्स है। अमेरिका में ओक रिज नेशनल लेबोरेटरी में लगे जेगुआर अथवा क्रे एक्स टी 5 सिस्टम को तीसरे स्थान पर रखा गया है। सुपर कंप्यूटिंग की दुनिया में चीन की बढ़ती हुई रफ्तार चौंकाने वाली है। दस साल पहले उसके सिर्फ 3 सुपर कंप्यूटर सूची में शामिल थे, जबकि आज उसके 75 सुपर कंप्यूटर सूची में दर्ज हैं।
बेंगलूर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के सुपर कंप्यूटर रिसर्च सेंटर के एसोसिएट प्रोफेसर सतीश वधियार पिछले कुछ समय से भारतीय सुपर कंप्यूटरों की द्विवार्षिक सूची तैयार कर रहे हैं। इस साल जून में जारी की गई सूची में 16 सुपर कंप्यूटरों को जगह मिली। नवंबर 2008 में जारी सूची के पहले संस्करण में 11 सुपर कंप्यूटरों के नाम दर्ज किए गए थे, लेकिन उस समय सूची में शामिल होने के लिए स्पीड की सीमा 900 गीगाफ्लॉप्स रखी गई थी। इस साल जून की सूची के लिए यह सीमा बढ़ा कर 3.11 टेराफ्लॉप्स कर दी गई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि देश के पास उपलब्ध सुपर कंप्यूटर संसाधनों का सही अंदाजा इनकी संख्या के बजाय उनकी स्पीड से ही लगाना चाहिए। हाई परफार्मेंस कंप्यूटिंग के क्षेत्र में गहन रिसर्च के लिए ज्यादा स्पीड वाले सुपर कंप्यूटर चाहिए।
लेखक मुकुल व्यास स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं
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