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भारत के सामने नई चुनौती

जागरण मेहमान कोना
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Rajeev Sharmaकार बम विस्फोट के बाद भारत की विदेश नीति पर दबाव बढ़ता देख रहे हैं राजीव शर्मा


13 फरवरी को नई दिल्ली में इजरायल दूतावास की कार में हुए बम विस्फोट से भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान में खतरे की घंटी बज गई है। यह हमला प्रधानमंत्री निवास और इजरायल दूतावास के करीब बेहद सुरक्षा वाली सड़क पर हुआ है। इस घटना से स्पष्ट है कि ईरान-इजरायल टकराव में पहली बार भारत को भी घसीट लिया गया है। जिस दिन दिल्ली में आतंकी हमला हुआ उसी दिन जॉर्जिया में इससे भी बड़ा हमला हुआ। अगले दिन थाइलैंड में भी हमले का विफल प्रयास किया गया। फिलहाल, भारत अटकलबाजियों के आधार पर प्रतिक्रिया देने के मूड में नहीं है और इसके लिए अभी किसी देश या संगठन को दोषी ठहराना नहीं चाहता। अधिक संभावना यही है कि यह ईरान समर्थित आतंकी संगठन हिज्बुल्ला की हरकत है। यद्यपि इस संभावना को भी खारिज नहीं किया जा सकता कि ईरान ने इस हमले की योजना और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिद्दीन नामक आतंकी संगठन को सौंप रखी हो। इंडियन मुजाहिद्दीन के माध्यम से हमले का यह फायदा है कि इससे हमले के असली सूत्रधारों के नाम का खुलासा और दोषियों की गिरफ्तारी मुश्किल से हो पाएगी क्योंकि यह संगठन भारतीय मानव व आर्थिक संसाधनों का इस्तेमाल करने में माहिर है।


कार बम धमाके में ईरान द्वारा इंडियन मुजाहिद्दीन के इस्तेमाल के विचार में एक खामी यह है कि इस हमले में अत्याधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है। असल में इस बम में चुंबक का इस्तेमाल किया गया, जो भारत में पहली बार हुआ है। जिस कार को निशाना बनाया गया उसमें विस्फोट होने के बजाय आग लग गई। इससे पता चलता है कि बम में विस्फोटक पदार्थो से अधिक ज्वलनशील पदार्थो का इस्तेमाल किया गया था।


अगर इन हमलों में हिज्बुल्ला का हाथ है, तो इससे गंभीर सवाल और कूटनीतिक समीकरण पैदा होंगे। हिज्बुल्ला एक शिया इकाई है। भारत की भूमि से चलने वाले प्रमुख आतंकी संगठनों में कोई शिया प्रभुत्व वाला नहीं है। इसके विपरीत पाकिस्तान में शिया आतंकी संगठनों का बड़ा नेटवर्क है। सालों पहले कुछ छोटे शिया आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में जरूर सक्रिय थे, किंतु कई वर्षो से वे निष्क्रिय चल रहे हैं। 13 फरवरी के दिल्ली धमाकों में हिज्बुल्ला की संलिप्तता की अगर पुष्टि हो जाती है तो इसका भारत पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे यह बात सिद्ध हो जाएगी कि ईरानी खुफिया एजेंसी भारत के सुरक्षा नेटवर्क में सेंध लगा चुकी है। कोई भी विदेशी शक्ति वह चाहे सरकारी हो या गैर सरकारी, बिना स्थानीय समर्थन के इस प्रकार के हमलों को अंजाम नहीं दे सकती। हमले में हिज्बुल्ला की संलिप्तता से पुष्टि हो जाएगी कि उसने यह क्षमता हासिल कर ली है।


अगर भारतीय आतंकी नेटवर्क में हिज्बुल्ला के प्रवेश की पुष्टि हो जाती है तो इससे सारे समीकरण बदल जाएंगे। भारतीय खुफिया और सुरक्षा प्रतिष्ठान अब तक पाकिस्तान की खुफिया सेवा आइएसआइ और पाकिस्तान समर्थित गैरसरकारी अभिनेताओं से ही जूझ रहे थे, अब उन्हें अपनी सोच और दृष्टि बदलनी होगी।


घटना के एक दिन बाद दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय को विस्तृत रिपोर्ट दी है, जिसमें रोग निदान के साथ-साथ अन्य आतंकी घटनाओं का ब्यौरा शामिल है। पुलिस का कहना है कि फोरेंसिक रिपोर्ट से पता चला है कि मोटरसाइकिल सवार आतंकी ने जिस चुंबक बम का इस्तेमाल किया वह अत्याधुनिक उपकरण था। इसमें विस्फोटकों के बजाय ज्वलनशील पदार्थो का अधिक इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा, बम में आरडीएक्स का इस्तेमाल नहीं किया गया था। मोटरसाइकिल सवाल आतंकी ने लाल बत्ती पर खड़ी इजरायल एंबेसी की कार में चुंबक बम चिपका दिया, जो एक मिनट बाद फटा। इस घटना में चार लोग घायल हो गए, जिनमें इजरायल के राजनयिक की पत्नी भी शामिल है। इस आतंकी घटना की कोई सीसीटीवी रिकॉर्डिंग उपलब्ध नहीं है। पुलिस ने घटनास्थल के नजदीक प्रधानमंत्री निवास और इजरायली दूतावास के पास लगे सीसीटीवी की रिकॉर्डिंग खंगाली है, किंतु किसी भी फुटेज में मोटरसाइकिल का नंबर स्पष्ट नहीं हो पाया है।


सोमवार की आतंकी घटना और इसके तुरंत बाद इजरायल द्वारा की गई आक्रामक प्रतिक्रिया के भारत के संदर्भ में दूरगामी कूटनीतिक निहितार्थ हैं। अमेरिका के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब भारत पर ईरान नीति बदलने के लिए कूटनीतिक दबाव को बढ़ा सकता है। यह कोई रहस्य नहीं है कि भारत सरकार ने पश्चिम को स्पष्ट बता दिया है कि पश्चिम द्वारा तेहरान पर ताजा प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद भारत ईरान से कच्चा तेल खरीदना बंद नहीं करेगा। भारत ने कहा है कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा के साथ समझौता नहीं कर सकता। गौरतलब है कि भारत 25 फीसदी तेल आयात के लिए ईरान पर निर्भर है। पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ईरान के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय वार्ता शुरू करने वाले हैं। इसमें पाकिस्तान से गुजरने वाली ईरान-भारत गैस पाइपलाइन बिछाने के संबंध में समझौता होने की उम्मीद है, बशर्ते सभी संबंधित पक्ष इस परियोजना के सुरक्षा पहलुओं पर आश्वस्त करें। संदेह प्रकट किया जा रहा है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश भारत पर ईरान-पाकिस्तान-भारत गैस पाइपलाइन से अलग होने का दबाव बढ़ाएंगे।


फ्रांस से 18 अरब डॉलर [करीब 90 हजार करोड़ रुपये] में रफेल लड़ाकू जहाज खरीदने के भारत के फैसले को भी अमेरिका और इसके निकट सहयोगी इजरायल के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। दिल्ली कार बम धमाके के बाद पश्चिमी जगत भारत पर ईरान नीति को बदलने का जबरदस्त दबाव डाल सकता है। इसके अलावा, भारत इस बात को लेकर भी चिंतित है कि शत्रु देश भारत की भूमि को रणक्षेत्र के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। नवंबर 2008 के मुंबई आतंकी हमले से ही संकेत मिल गए थे कि इजरायल और इसके इस्लामिक शत्रुओं के बीच छिड़े छद्म युद्ध की आंच भारत तक पहुंच गई है। इस हमले में पाकिस्तान प्रशिक्षित आतंकवादियों ने छबद हाउस पर हमला कर छह इजरायली लोगों को मार डाला था।


भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को 13 फरवरी के हमले की जांच तेजी से करनी होगी। अन्य अनसुलझे आतंकी मामलों की तरह इस मामले में लचर कार्रवाई से काम नहीं चलेगा। हवा में गंध यह बता रही है कि अतीत में इंडियन मुजाहिद्दीन द्वारा किए गए तमाम मामलों से भी अधिक कूटनीतिक निहितार्थ इस घटना के निकलेंगे।


लेखक राजीव शर्मा वरिष्ठ स्तंभकार हैं


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