- 1877 Posts
- 341 Comments
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की एक दिन की भारत यात्रा से यह सवाल बेहद अहम हो गया है कि यह जियारत रही है या सियासत। जरदारी अजमेर में ख्वाजा की दरगाह पर जियारत के मकसद से आए, लेकिन उससे पहले उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भेंट की। मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के राष्ट्रपति के बीच हुई वार्ता में कई अहम मुद्दे भी उठे, जो दोनों देशों के लिए खास हैं। दूसरी बात यह कि जियारत में सियासत कोई नई बात नहीं है। भारत के लिए तो बिल्कुल ही नहीं, क्योंकि यहां की राजनीतिक पार्टियां धर्म और राजनीति के घालमेल को बड़ी सहजता से अपनी नीतियों में उतारती हैं। इसलिए यदि जियारत करने आए जरदारी से कोई सियासी डायलॉग हो जाए तो इसमें कुछ भी गलत बात नहीं है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और जरदारी की मुलाकात के दौरान जिन अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, उस बाबत भारतीय विदेश सचिव रंजन मथाई ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मुंबई हमले के गुनाहगार हाफिज सईद का मुद्दा उठाया, साथ ही 26/11 के सभी दोषियों को सजा दिलाने की मांग की। बताया गया कि जब प्रधानमंत्री ने हाफिज सईद का मुद्दा उठाया तो जरदारी ने इसे अहम मसला तो माना, लेकिन खुद का बचाव करते हुए कहा कि वह इससे खुद पीडि़त हैं।
जरदारी का कहना था कि यह पाक का एक कानूनी मामला है और इसमें गृहमंत्री से और बातचीत की दरकार है। इस दौरान जरदारी ने सियाचिन के साथ-साथ कश्मीर का मुद्दा भी उठाया। लंच के दौरान पाकिस्तान की ओर से अजमेर की जेल में बंद बुजुर्ग कैदी डॉ. खलील चिश्ती की रिहाई का मामला भी उठा। भारत ने सियाचिन हादसे में पाकिस्तान को मदद देने की पेशकश भी की। यह तय हुआ कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पाक जाएंगे, लेकिन कब जाएंगे, यह मामला बाद में तय होगा। उल्लेखनीय है कि 7 अप्रैल को सियाचिन में पाकिस्तान के सौ से अधिक फौजी हिमस्खलन के कारण बर्फ में जिंदा दफन हो गए। दिलचस्प है कि आपसी बातचीत के उपरांत जब मनमोहन सिंह और आसिफ अली जरदारी मीडिया के सामने आए तो दोनों की भावभंगिमा बेहद खुशनुमा थीं। दोनों लोगों ने मान लिया कि इस यात्रा से आपसी रिश्ते में घुली कड़वाहट कम होगी। दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत बेहतर परिणाम देने वाली रही, इसकी पुष्टि खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने की। उन्होंने कहा कि वे बैठक से संतुष्ट हैं और उन्हें जरदारी ने पाकिस्तान आने का न्योता दिया है।
हालांकि जरदारी का यह निजी दौरा है, बावजूद इसके इस दौरे के जो परिणाम सामने आए हैं, वह संतुष्टि देने वाले हैं। दूसरी ओर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हुई बातचीत को सार्थक बताते हुए पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने भी कहा कि मनमोहन सिंह से बहुत जल्द पाकिस्तान में उनकी मुलाकात होगी। जरदारी को उम्मीद है कि मनमोहन उनके आमंत्रण को स्वीकारेंगे तथा पाकिस्तान जरूर आएंगे। पाकिस्तान की ओर से यह लगातार कहा जा रहा था कि राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का भारत दौरा महज जियारत के लिए है, लेकिन दिल्ली में एयरपोर्ट पर उनके सम्मान में जिस तरह का प्रोटोकॉल दिया गया, वह निजी दौरे से भी कहीं ज्यादा था। इस प्रोटोकॉल के तहत पहले रेड कॉरपेट बिछाया गया, फिर जरदारी के विमान से सबसे पहले प्लेन के कप्तान बाहर आए और बाद में भारत की चीफ ऑफ प्रोटोकॉल प्लेन के भीतर गई और जरदारी को भारत की सरजमीं पर उतरने का न्योता दिया। इस न्योते के बाद ही जरदारी बाहर आए। तत्पश्चात उन्होंने संसदीय कार्यमंत्री पवन पंसल समेत एयरपोर्ट पर उनके स्वागत के लिए मौजूद प्रतिनिधियों का अभिवादन स्वीकारा। पाकिस्तान भले इसे निजी दौरा बताता रहा हो, लेकिन भारत में उन्हें निजी यात्रा से कहीं ज्यादा तव्वजो मिली है। अब देखना यह है कि जरदारी का यह दौरा भारत-पाक के बीच की दूरी को कितना कम कर पाता है।
पाकिस्तान के सियासी हलकों में जरदारी के इस दौरे को उनके खिलाफ पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई से बने माहौल से भी जोड़कर देखा जा रहा है। बताते हैं कि अमेरिका से रिश्ते बिगड़ने के बाद जरदारी अवाम की नजर में यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि पाकिस्तान के रिश्ते सभी मुल्कों से खराब नहीं हैं। वे यह भी दिखाना चाहते हैं कि पाकिस्तान अपने पड़ोसी भारत से रिश्ते सुधारने की लगातार कोशिश कर रहा है। ऐसा करके जरदारी पाकिस्तान में खुद को और अपनी पार्टी पीपीपी को मजबूत बनाना चाहते हैं।
इस आलेख के लेखक राजीव रंजन तिवारी हैं
Read Hindi News
Read Comments