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फेसबुक की लत

जागरण मेहमान कोना
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Peeyush Pandeyसोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक के आईपीओ की खबरों से तमाम अखबारों के रंगे होने के बीच साइट से जुड़ी एक दिलचस्प जानकारी भी चर्चा में है। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक औरंगाबाद में एक महिला सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने अपने पति से सिर्फ इस आधार पर तलाक मांगा है कि उसने फेसबुक पर अपने वैवाहिक स्टेटस को परिवर्तित नहीं किया। महिला ने अदालत में कहा कि दो महीने शादी को होने के बाद भी पति ने फेसबुक पर अपना वैवाहिक स्टेटस मैरिड नहीं किया और खुद को सिंगल ही बताया। पति ने अदालत में कहा कि वह व्यस्त होने की वजह से अपना स्टेटस बदलना भूल गया। अदालत ने इस तेलुगु दंपति को काउंसलिंग के लिए छह महीने का वक्त दिया है। बाद में अदालत क्या फैसला देगी इसकी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, लेकिन तलाक की वजह यदि वैवाहिक स्टेटस बना तो यह अपने आप में अभूतपूर्व होगा। यह नौजवान दंपतियों के लिए चेतावनी भी है, लेकिन मुद्दा सिर्फ यह खबर नहीं है। मसला है फेसबुक का जिंदगी को प्रभावित करने का। फेसबुक आईपीओ ला रहा है तो इसका मतलब सिर्फ कंपनी के लिए लक्ष्य 16 अरब डॉलर जुटाना नहीं है। इसका मतलब नए उपयोक्ता तैयार करने की चुनौती भी है।

 

आईपीओ आने से पहले ही दुनिया भर में 91 करोड़ से ज्यादा लोग इस साइट का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका मतलब है कि फेसबुक की प्रचार रणनीति अब और आक्रामक होगी। कारोबारी लिहाज से फेसबुक को हरसंभव कोशिश करनी है कि वह अपने उपयोक्ताओं के साथ निवेशकों को संतुष्ट करे, लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि हमारी जिंदगी में दाखिल फेसबुक का असर तब क्या होगा जब इसके लिए साइट की तरफ हर मुमकिन रणनीतिक कोशिश की जाएगी। हो सकता है कि औरंगाबाद के मजाक लगने वाले मामले लगातार सामने आएं। वैसे भीए डेली मेल ने डाइवोर्स ऑनलाइन के हवाले से प्रकाशित अपनी खबर में कहा था कि विश्व में एक तिहाई तलाक के लिए फेसबुक जिम्मेदार है।

 

तलाक की 5000 याचिकाओं में कम से कम 33 फीसदी में फेसबुक के नाम का उल्लेख था। हालांकि यह निष्कर्ष भारत के संदर्भ में नहीं है, लेकिन फेसबुक अथवा सोशल नेटवर्किग साइट्स पर लिखे-कहे को अब बतौर सबूत लिए जाने का चलन भारत में शुरू हो गया है। दरअसल फेसबुक की बढ़ती लत के बीच समस्याओं से जुड़े इसके इतने अलग-अलग आयाम देखने को मिल रहे हैं कि हैरानी होने लगी है। हाल में दिल्ली में दो स्कूली छात्रों के बीच चाकूबाजी की जड़ में फेसबुक का नाम आ गया। यहां 10वीं के छात्र पर उसके सहपाठी ने ही चाकू से कई वार किए। आरोपी का कहना है कि एक निजी पार्टी की तस्वीर के साथ छेड़छाड़ कर फेसबुक पर डाल दिया गया था, जिसकी वजह से उसका मजाक बनाया जा रहा था। चंद दिनों पहले आइआइएम बेंगलूरू की एक छात्रा मालिनी मूर्मू ने फेसबुक पर प्यार में धोखा मिलने की जानकारी होने पर फांसी लगा ली। बॉयफ्रेंड के फेसबुक पर बदले स्टेटस से छात्रा को यह जानकारी मिली थी। नकारात्मक संदर्भो में हाल के दिनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनका कोई न कोई सिरा फेसबुक से जुड़ा रहा। वैसे इसमें सोशल नेटवर्किग साइट फेसबुक अथवा किसी दूसरी साइट को दोष देने का कोई मतलब नहीं है। सच्चाई यह है कि आभासी दुनिया के रंगीन जालों ने ऐसा कवच तैयार कर दिया है जिसके भीतर एक अलग संसार बस गया है।

 

इस दुनिया में शामिल लोग यहां से दूर होना नहीं चाहते। इसे आदत कहिए या बीमारी, लेकिन कई लोग इसकी चपेट में हैं और नतीजे खतरनाक हो रहे हैं। भारत में इंटरनेट के इस्तेमाल और उसकी आदत जैसे मसलों पर हाल में नॉरटन अधिकृत एक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में नियमित इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले उपयोक्ता 24 घंटे भी नेट से दूर नहीं रह सकते। जाहिर है फेसबुक के इस्तेमाल के बाबत अब ट्रेनिंग और जागरूकता के पक्ष पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।

 

 इस आलेख के लेखक पीयूष पांडे हैं

 

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