Menu
blogid : 5736 postid : 6289

सस्ती लोकप्रियता तो नहीं रोलिंग का मकसद

जागरण मेहमान कोना
जागरण मेहमान कोना
  • 1877 Posts
  • 341 Comments

यह महज संयोग नहीं हो सकता कि एक सिख छात्रा का उसके चेहरे के बालों को लेकर जिस तरह से इंटरनेट पर मजाक बनाया गया, ठीक वैसा ही मजाक जेके रोलिंग की वयस्कों के लिए आई ताजा पुस्तक द कैजुअल वैकेंसी में भी बनाया गया है। सिख समुदाय का अपमान करने वाला यह मजाक यदि गंभीर रूप ले ले तो इसके परिणाम भी गंभीर हो सकते हैं। रोलिंग की पुस्तक इंटरनेट की घटना के कुछ दिन बाद ही बाजार में आई है। जाहिर है सिख समुदाय को इस पर आपत्ति होनी ही थी।


Read:लोकतंत्र के भविष्य का सवाल


अकाल तख्त ने अपने प्रतिनिधि संगठन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के जरिये रोलिंग से अपनी पुस्तक से समुदाय के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को निकालने और समुदाय से माफी मांगने की मांग की है। दूसरी ओर, रोलिंग ने माफी मांगने या विवादित अंशों को पुस्तक से निकालने से यह कहते हुए इन्कार किया है कि उन्होंने किताब लिखने से पहले सिख धर्म पर गहराई से शोध कर उसे समझने की पूरी कोशिश की है। रोलिंग का कहना है कि वह सिख धर्म से बहुत अधिक प्रभावित हैं, खासकर इसलिए कि वह पुरुष व महिलाओं की बराबरी पर जोर देता है। रोलिंग के अनुसार, सिख धर्म बहुत शानदार व दिलचस्प है। मैं जब 20-22 साल की थी तभी से मेरी इस धर्म में दिलचस्पी रही है। बहुत थोड़े समय के लिए मैंने एक ऐसी लड़की के साथ काम किया था, जिसका संबंध सिख परिवार से था। वह छोटी सी अवधि ही उनके धर्म में दिलचस्पी पैदा करने के लिए पर्याप्त थी, जिसका विस्तार मैंने अपने शोध से किया है।


कैजुअल वैकेंसी में कैजुअल अप्रोच हैरी पॉटर श्रृंखला से दुनियाभर में शोहरत पाने के बाद जेके रोलिंग ने बाल साहित्य से हटकर पहली बार वयस्क उपन्यास लिखने में हाथ आजमाया है। उनके उपन्यास द कैजुअल वेकेन्सी के प्लॉट के केंद्र में एक सिख परिवार है। इस परिवार के एक सदस्य का नाम फैट्स दिया गया है, जो पृष्ठ संख्या 120 पर अपनी क्लासमेट सुखविंदर कौर की व्याख्या करते हुए कहता है, मूंछो वाली, लेकिन विशाल वक्षों वाली। वैज्ञानिक असमंजस में हैं, इस बालों वाली पुरुष-महिला के विरोधाभासों को लेकर। यह तो बहुत हल्का करके अनुवाद किया गया है, लेकिन अंग्रेजी में रोलिंग ने फैट्स के मुंह से यह बात कहलवाने के लिए जिन शब्दों का इस्तेमाल किया है, वे अगर अंग्रेजी संस्कृति के लिहाज से आपत्तिजनक नहीं हैं तो भी यह तो कहा ही जा सकता है कि उनका चयन सही नहीं है।


इन शब्दों के चयन में थोड़ी सावधानी बरती जा सकती थी। इसे एक वयस्क और समझदार लेखिका के तौर पर उनकी सिख धर्म को लेकर कैजुअल अप्रोच कहा जा रहा है। शायद यही वजह है कि रोलिंग के शब्द चयन को एसजीपीसी प्रमुख अवतार सिंह मक्कड़ ने सिख समुदाय को अपमानित करने वाला और भड़काने वाला बताया है। मक्कड़ ने मांग की है कि रोलिंग माफी मांगें और कम से कम भारत में बिकने वाली किताबों से उन आपत्तिजनक शब्दों को हटाएं। अगर वह ऐसा नहीं करती हैं तो अपने खिलाफ कार्रवाई के लिए तैयार रहें। हालांकि मक्कड़ ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि यह कार्रवाई किस किस्म की होगी। बहरहाल, मक्कड़ का कहना है, कि अगर लेखिका को महिला सिख चरित्र (कैरेक्टर) की शारीरिक संरचना का विवरण ही देना था तो वह भड़काऊ भाषा की बजाय शालीन भाषा का इस्तेमाल कर सकती थीं। शारीरिक संरचना को लेकर महिला चरित्र के लिंग पर सवाल उठाने की इस प्लॉट में कहींकोई जरूरत ही नहीं थी, यह निंदनीय है। इतना ही नहींमहिला सिख चरित्र का विवरण देने वाले पैराग्राफ से पहले वाला पैरा इससे भी अधिक अपमानजनक है।


इसमें कहा गया है- फैट्स की आंखें सुखविंदर के सिर के पीछे गड़ी हुई थीं और वह बड़बड़ा रहा था, महान किन्नर खामोश व स्थिर बैठा है। अमेरिका में भी हुआ अपमान रोलिंग की यह पुस्तक 27 सितंबर को ही ब्रिटेन में जारी की गई थी, लेकिन इससे कई दिन पहले अमेरिका में एक ऐसी ही घटना हुई, जिसका यहां उल्लेख करना जरूरी है। अमेरिका के ओहियो में बलप्रीत कौर नाम की एक सिख छात्रा की चुपके से तस्वीर उतार ली गई और फिर उसे रेडिट नाम की एक सोशल नेटवर्रि्कग साइट, पर अपलोड कर उसके चेहरे के बालों का मजाक उड़ाया गया। लेकिन न्यूरो साइंस की छात्रा बलप्रीत कौर ने अपने संयम का शानदार परिचय देते हुए इस नस्लीय उपहास की हवा निकाल दी। बलप्रीत कौर ने साइट पर ही अपना जवाब देते हुए लिखा कि उसे अपने चेहरे के बालों और मर्दाना लुक पर गर्व है और अगर फोटोग्राफर उससे अनुमति लेकर उसकी तस्वीर उतारता तो वह मुस्कुराते हुए अपनी फोटो खिंचावाती। बलप्रीत कौर ने लिखा, हां, मुझे मालूम है कि मेरे लिंग की आसानी से पहचान नहीं हो पाती और मैं अधिकतर महिलाओं से अलग दिखाई देती हूं। लेकिन जिन्होंने सिख धर्म में दीक्षा ली होती है, वे इस शरीर को पवित्र मानते हैं। यह ईश्वर का दिया वरदान है और इसे उसी की इच्छा के प्रति समर्पित होने के लिए सुरक्षित रखना भी जरूरी है। वह खुद लिंगरहित है।


बलप्रीत ने कहा कि सिख धर्म के पांच चिह्न होते हैं जिनमें से एक केश भी हैं। इसी वजह से उसने अपने चेहरे के बाल नहीं हटाए। अब यह संयोग है या साजिश कि रोलिंग की पुस्तक के आने से ठीक पहले अमेरिका में एक सिख लड़की के चेहरे के बालों का मजाक उड़ाया जाता है और फिर जब रोलिंग की पुस्तक आती है तो उसमें भी एक सिख लड़की के चेहरे के बालों और लिंग का मखौल उड़ाया जाता है, वह भी आपत्तिजनक शब्दों के साथ। ऐसा करते हुए सिख धर्म का गहनता से अध्ययन करने का दावा वाली लेखिका सिख संस्कृति, उनकी मान्यताओं और भावनाओं को ध्यान में रखना भी भूल गईं या कहें कि अपनी मर्यादा को लांघ गईं। अब अगर अमेरिका के ही सरक्रीक में पिछले दिनों विस्कोंसिन गुरुद्वारे में हुई गोलीबारी की घटना को भी इसी क्रम में रख दिया जाए तो? क्या कहीं कोई संदेह होता है कि अमेरिका में सिखों के खिलाफ नफरत फैलाने का अभियान चलाया जा रहा है? ब्रिटेन और अमेरिका में सिखों की संख्या कम नहींहै और वे एक बड़ा वोट बैंक भी हैं। एक तथ्य यह भी है कि अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में वहां के दोनों प्रमुख दल- डेमोक्रेट और रिपब्लिकन सिखों को लुभाने के लिए उन्हें पार्टी के मंच पर जगह दे रहे हैं।


पिछले दिनों रिपब्लिकन पार्टी का एक समारोह एक सिख की गाई प्रार्थना के बाद शुरु ही हुआ। यानी इस चुनावी सरगर्मी में सिख समुदाय राजनीति के केंद्र में भी बना हुआ है। हो सकता है कि यह किसी सोची समझी रणनीति का हिस्सा हो। फिर यह भी बहुत मुमकिन है कि लोकप्रियता के स्वाद की आदी हो चुकीं रोलिंग ने भी अपनी किताब को चर्चित बनाने के लिए ही सोची-समझी योजना के तहत उसमें कुछ इस तरह के कंटेंट का इस्तेमाल किया हो। हैरी पॉटर जैसा जादू नदारद द कैजुअल वैकेंसी की अब तक की आई समीक्षाओं में भी कहा गया है कि इस वयस्क उपन्यास में पाठकों को बांधे रखने का वह जादू नहीं है जिसके लिए रोलिंग अपनी हैरी पॉटर श्रृंखला के जरिये जानी जाती हैं। यह सही है कि रोलिंग की सेलीब्रिटी हैसियत, जनता की आकांक्षाओं और मीडिया की दिलचस्पी के कारण रोलिंग की यह किताब भी हर जगह चर्चा का विषय बन गई है, लेकिन चर्चा इसके कथ्य और शिल्प की खूबसूरती के लिए नहींबल्कि रोलिंग की असफलता के लिए ज्यादा हो रही है। आलोचकों ने इसे नीरस करार देते हुए लिखा है कि इसमें इतनी क्षमता नहीं है कि पाठक अपनी दिलचस्पी बनाए रखें। एक अंग्रेज आलोचक ने तो इसके बारे में यहां तक लिखा है, यह कोई मास्टरपीस नहीं है कि मीडिया इस पर जरूरत से ज्यादा ध्यान दे।


रोलिंग ने हैरी पॉटर श्रृंखला की 450 लाख किताबें बेची थीं और 67 भाषाओं में उसका अनुवाद हुआ था। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए प्रकाशकों ने अकेले ब्रिटेन में उनके नवीनतम उपन्यास की 20 लाख प्रतियां छापी हैं, लेकिन पुस्तक को आशातीत सफलता नहीं मिल पा रही है। शायद यही वजह है कि इससे प्रकाशकों को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए इसे विवादित बनाया जा रहा है। हो सकता है कि बाल साहित्य में सिद्धहस्त रोलिंग को भी इस बात आशंका पहले से रही हो, लेकिन पहले से लोकप्रिय हो चुके लेखकों, कलाकारों को ऐसा कोई काम नहींकरना चाहिए जिससे उनकी ख्याति पर कोई दाग लगे। क्योंकि इस पड़ाव तक पहुंच जाने के बाद उन्हें लोकप्रियता बटोरने की नहीं, बल्कि अपने बेहतरीन प्रदर्शन से हासिल की गई लोकप्रियता को बनाए रखने और सहेजने की जरूरत होती है।


Read:संबंध सुधारने के प्रयास


लेखक  एमसी छाबड़ा स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं

Tag: Jk  Rowling, Jk Rowling New Book, The Casual Vacancy, British Writer, Novel, जेके रोवलिंग, ब्रिटिश लेखिका,केजुवल  वकेंसी

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh