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दिल्ली में बैठी सरकार ने आखिर अपना टुच्चापन दिखा ही दिया। देश के दामाद पर जिस तरह साहस के साथ अरविंद केजरीवाल ने सबूत के साथ प्रहार किया, उसके बाद ही यह अंदेशा था कि खिसियाई यूपीए सरकार कुछ न कुछ तो करेगी ही।
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वाड्रा पर मची हायतौबा के बाद जिस तरह सोनिया के लिए मर मिटने का दावा करने वाले सलमान खुर्शीद को खुद को करप्शन का आंग में झोंककर अपनी आहुति दी, उससे प्रसन्न कांग्रेस नेतृत्व ने आज आखिरकार सलमान और केजरीवाल मुद्दे पर दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के स्वामी शिंदे जी को खुलकर मैदान में खेलने का मौका दिया।
पर शायद कांग्रेस नेताओं ने यह कहावत नहीं पढ़ी कि दूध का जला छाछ भी फूंककर पीता है। बाबा रामदेव पर पुलिसिया डंडा चलाने के बाद जो फजीहत यूपीए सरकार की हुई थी, उसे श़ॉर्ट टर्म मेमोरी वाली यूपीए सरकार ने भूलकर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने का काम किया है। अरविंद केजरीवाल आज देश के हीरो बन चुके हैं। या हम यह नहीं कह रहे हैं कि वे राजनीति के भी हीरो बनेंगे। पर केजरीवाल पर यह कार्यवाई दिल्ली की केंद्र सरकार को भी महंगी पड़ सकती है। पहले से ही एफडीआई, महंगाई और करप्शन के आरोपों से घिरी यह सरकार अब पूरी तरह से आफत में आने वाली है।
अरविंद की टीम में शामिल महिलाओं पर जिस तरह से पुलिसिया डंडा चला है उसे देखकर वाकई लगता है कि राजनीति में महिला नेता भी कठोर हृदय वालीं ही होती हैं, क्यिंक दिल्ली पुलिस के जवानों ने जिस तरह महिलाओं को घसीटा है उसके बाद सोनिया हो या शीला, नहीं किसी का दिल नहीं पसीजा।
इस आलेख के लेखक हैं अभिषेक मेहरोत्रा
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