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घुलनशील इलेक्टॉनिक्स

जागरण मेहमान कोना
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इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अब नए अवतार आ रहे हैं। वैज्ञानिकों ने ऐसे इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल उपकरण बनाए हैं, जो शरीर के अंदर घुल जाते हैं। घुलनशील इलेक्ट्रोनिक्स को ट्रांजियंट इलेक्ट्रोनिक्स भी कहा जाता है। घुलनशील उपकरणों की मदद से सर्जरी के बाद मरीज की हालत पर निगरानी रखी जा सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ये उपकरण मरीज का तापमान रिकॉर्ड करने के अलावा दवाएं भी पहुंचा सकेंगे। इनसे सर्जरी के बाद उत्पन्न होने वाले संक्रमण के इलाज में भी मदद मिलेगी। ये उपकरण एक निश्चित समय के बाद अपने आप शरीर में घुल जाएंगे। अभी सर्जरी में आम तौर पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग नहीं किया जाता। शरीर में प्रत्यारोपित ऐसे उपकरणों के लंबे समय तक अंदर रहने से प्रतिकूल प्रभाव का डर रहता है। ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लंबी अवधि तक सक्रिय रहने के हिसाब से बनाए जाते हैं, लेकिन अमेरिका में टफ्ट, इलिनायस और नार्थवेस्टर्न विश्वविद्यालयों के रिसर्चरों ने सिलिकोन और मैग्नेशियम का एक अत्यंत पतला सर्किट तैयार किया है, जो शरीर के द्रव्यों में आसानी से घुल जाता है। शरीर में घुलने पर इसका कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता।


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रिसर्चरों ने इस सर्किट पर रेशम के कीड़ों के ककून से प्राप्त रेशम की परतें चढ़ा कर देखा कि ये सर्किट शरीर में कुछ दिन या कुछ महीने रहने के बाद अपने आप घुल जाते हैं। रिसर्च टीम से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिक जॉन रोजर्स का कहना है कि घुलनशील इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने के लिए हमें नए पदार्थ नहीं खोजने पड़े। हमने लगभग उन्हीं चीजों का प्रयोग किया जो इलेक्ट्रोनिक्स और इम्प्लांट्स में अच्छी तरह से स्थापित हो चुकी हैं। सिलिकोन आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स का आधार है, जबकि मैग्नेशियम को इंट्रावीनस स्टेंट में आजमाया जा चुका है। रेशम का उपयोग सर्जरी में टांकों और अन्य इम्प्लांट्स में पहले से हो रहा है। टीम के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि इन पदार्थो को मिला कर एक ऐसी संरचना कैसे तैयार की जाए, जो आसानी से पानी में घुल जाए। इस तरह के सर्किटों को रेशम में लपेट कर उसका जीवन निर्धारित किया जा सकता है। इसके लिए रोजर्स ने टफ्ट विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक फिओरेंजो ओमेनेटो से सहयोग लिया, जो वर्षो से रेशम के गुणों का अध्ययन कर रहे हैं। रेशम के फाइबरों को ढीला रखने पर वे आसानी से घुल जाते हैं, जबकि क्रिस्टल रूप में वे वर्षो तक स्थिर रहते हैं। रिसर्चरों ने ओमेनेटो की विधियों का उपयोग घुलनशील इलेक्ट्रोनिक्स की मियाद निर्धारित करने के लिए किया। चूहों पर किए गए एक परीक्षण के दौरान प्रत्यारोपित उपकरण सर्जरी के घाव पर दवा पहुंचाने में कामयाब रहे और करीब तीन सप्ताह बाद अपने आप शरीर में घुल गए।


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विशेषज्ञों का कहना है कि इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ऐसे कैमरे, मोबाइल फोन और उपकरण बनाने के लिए किया जा सकता है, जो कुछ साल के अंदर अपने आप घुल जाएंगे। ये उपकरण तब तक आपके साथ रहेंगे, जब तक आपको इनकी जरूरत महसूस होगी और आपका उद्देश्य पूरा होने के बाद ये लुप्त हो जाएंगे। इस तरह ये पर्यावरण के लिए सिरदर्द नहीं बनेंगे। घुलनशील इलेक्ट्रॉनिक्स के संभावित मेडिकल उपयोग में दिल और मष्तिष्क में प्रत्यारोपित किए जाने वाले सेंसर, घावों और सर्जरी की जगहों को साफ सुथरा रखने वाले सेंसर और शरीर के अंदर धीरे-धीरे दवाएं प्रविष्ट करने वाले उपकरण शामिल हैं। रिसर्च टीम ने इस तकनीक से एक साधारण कैमरा निर्मित किया है, जिससे आठ पिक्सल की तस्वीर खींची जा सकती है। उन्होंने एक ऐसा हीटर भी निर्मित किया है, जिसे सर्जरी के बाद त्वचा के नीचे प्रत्यारोपित किया जा सकता है। इसे वायरलेस कंट्रोल से संचालित किया जा सकता है। यह हीटर एक कृत्रिम बुखार जैसा है, जो संक्रमण पैदा करने वाले जीवाणुओं को जला देगा और संक्रमण का खतरा कम होने पर धीरे-धीरे लुप्त हो जाएगा।


लेखक मुकुल व्यास स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं


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Tags: Electronics, Science, Surgery, Magnesium, America, Tuft, Research, Liquid Electronics, इलेक्ट्रॉनिक , वैज्ञानिकों , ट्रांजियंट इलेक्ट्रोनिक्स, तापमान रिकॉर्ड, सर्जरी , फाइबरों ,  कैमरे, मोबाइल फोन

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