Menu
blogid : 5736 postid : 6461

व्यक्ति नहीं, सबक हैं ठाकरे

जागरण मेहमान कोना
जागरण मेहमान कोना
  • 1877 Posts
  • 341 Comments

कट्टर हिंदू, कद्दावर नेता, बेलगाम कड़वे बोलों के लिए कुख्यात भी और दूसरे पक्ष में दृढ़ निश्चयी, उदार और मिलनसार व्यक्तित्व भी बेमिसाल। दोनों गुणों को एक साथ लेकर चलने और उनके साथ पूरा न्याय करने वाले बाल ठाकरे अपनी तरह के दुर्लभ नेता थे। यही विशिष्टता है जो उन्हें तमाम खामियों के बावजूद सबसे अलग रखती है। बाला साहेब देश में इकलौते ऐसे नेता हैं जिनकी आलोचना में जितने हर्फ लिखे जा सकते हैं, शायद उतने ही प्रशंसा में भी। सार्वजनिक जीवन में उन्होंने दक्षिण भारतीयों, उत्तर भारतीयों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ जिस राजनतिक घृणा का प्रदर्शन किया, व्यक्तिगत जीवन में उतना ही प्रेम भी बांटा और जोड़ा भी। मातोश्री में जब वह जीवन के अंतिम पथ पर थे, तब उनसे मिलने आने वाले लोगों को देखकर इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। ठाकरे के व्यक्तित्व को गहराई से देखें तो उनकी जीवन यात्रा एक सबक की तरह दिखती है, जिसे आने वाली पीढ़ी के नेता अंगीकार कर उन गलतियों से बच सकते हैं जिनके कारण ठाकरे विराट व्यक्तित्व और महाराष्ट्र में अद्वितीय लोकप्रियता के बावजूद महाराष्ट्र या मुंबई से बाहर नहीं निकल सके।


Read:हताशा बढ़ाने वाला विचार


हालांकि जिन्हें हम ठाकरे की गलती कहते हैं वास्तव में उन्होंने उन्हें अपना सिद्धांत बना रखा था। उदारवादी समाज में ऐसे सिद्धांतों के लिए जगह कम रहती है। जीवन में साफगोई, प्रतिबद्धता, अपने उद्देश्य और अपने समर्थकों के प्रति ईमानदारी किसी नेता को लोकप्रिय बनाती हैं। ठाकरे के प्रति असहमति की हजारों गुंजाइशें हैं, बावजूद इसके उनमें बड़ा नेता बनने के सभी लक्षण मौजूद थे और चार दशक तक लगातार महाराष्ट्र की राजनीति को प्रभावित कर उन्होंने यह साबित भी किया। लेकिन, वह अपने मराठी माणुष के संकीर्ण एजेंडे पर निरंतर और लंबे समय तक चलते रहने के कारण महाराष्ट्र और खासतौर पर मुंबई से बाहर नहीं आ सके। या यों कहें कि उन्होंने पहला कदम ही ऐसी गली की ओर रखा था, जिसका मुंबई या महाराष्ट्र की सीमा पर आकर बंद होना ही तय था। ठाकरे कट्टर थे, लेकिन कपटी नहीं थे। अपने वादों के प्रति प्रतिबद्ध रहते थे और उद्देश्य के प्रति ईमानदार भी। उनके समर्थकों को और मुंबई की जनता को यह पूरा भरोसा था कि यदि बाला साहेब ने कुछ कहा है तो वह उसे पूरा जरूर करेंगे। यह विश्वास उन्हें उनके समर्थकों की नजरों में अन्य नेताओं से बड़ा बनाता था। दूसरा ठाकरे मौकापरस्त नहीं थे, न तो अपने मित्रों में न ही अपने राजनीतिक गठबंधन में। उन्होंने जो कहा या जो किया साफगोई से डंके की चोट पर किया। अपनी विचारधारा के विपरीत जाने पर उन्होंने सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी को नहीं बख्शा, बिना इस भय के कि उनके वोटरों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है और राजनीतिक विचारधारा के विपरीत जाने पर अपनी सबसे पुरानी सहयोगी भाजपा तक को खरी-खोटी सुनाने से भी परहेज नहीं किया। राष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने भाजपा का साथ नहीं दिया, जबकि बात गठबंधन में दरार तक पहुंच गई थी। विचारधारा के प्रति ऐसा समर्पित नेता मौजूदा दौर में शायद ही कोई हो। ठाकरे ने शिवसेना खुद खड़ी की उसे ऐसे मुकाम तक लेकर आए कि वह सत्ता में भागीदारी निभा सके, लेकिन खुद कभी न तो चुनाव लड़ा और न ही किसी पद की लालसा रखी।


Read:व्यवस्था का अप्रिय चेहरा


यही कारण था कि वह सदैव अपनी शर्र्तो पर राजनीति कर सके। ठाकरे केवल एक जगह चूके, जहां वे अपने सिद्धांत पर कामय न रह सके और उन्हें अपने समर्थकों की आलोचना सहनी पड़ी। ठाकरे जिस मिजाज की राजनीति करते थे और जिस पर शिवसेना खड़ी थी, उस पर उनके भतीजे राज ठाकरे फिट बैठते थे। बावजूद इसके जब पार्टी की कमान सौंपने के लिए दोनों में से चुनाव करने का वक्त आया तो वह भी पुत्र मोह में फंस गए और पार्टी के अध्यक्ष में रूप में उद्धव को ही चुना। इससे राज तो उनसे दूर हुए ही, सिद्धांत की राजनीति करने वाले इस शख्स पर कई लोगों ने वंशवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्हें धृतराष्ट्र तक की संज्ञा दे डाली, लेकिन उनके निधन के बाद माना जा रहा है कि दोनों भाई करीब आएंगे और ठाकरे की विरासत को आगे बढ़ाएंगे। एक धड़े में चर्चा तो यह भी है कि जरूरत पड़ने पर राज ठाकरे मनसे का शिवसेना में विलय भी कर सकते हैं और पार्टी की कमान संभाल सकते हैं। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या राज या उद्धव बाला साहेब ठाकरे की विरासत को आगे बढ़ा पाएंगे? जिस तरह बाला साहेब ने अपनी शर्र्तो पर राजनीति की, क्या राज या उद्धव अपना कद इतना ऊंचा कर पाएंगे? क्या वे अपने पिता या चाचा की खामियों और खूबियों से कोई सबक सीखेंगे?


लेखक विवेकानंद स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं


Read:म्यांमार से नाजुक रिश्ते


Tags:Bal Thackeray Death, Bal Thackeray, Hindu, Riots,  Mumbai, Maharashtra, Shiv Sena, Raj Thackeray, Saamna, बाला साहेब ठाकरे, महाराष्ट्र , राजनेताओं , जयललिता , राज ठाकरे, शिव सेना, कट्टर , कद्दावर

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh