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इस वर्ष भारत अपने मिसाइल तरकश में कई नई मिसाइलों को जोड़ने की तैयारी कर रहा है। आने वाले दिनों में जहां पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली लंबी दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल सागरिका के परीक्षण की तैयारी है, वहीं अभी तक काफी गोपनीय रखी गई निर्भय क्रूज मिसाइल का भी परीक्षण कार्यक्रम है। इसके अलावा मिसाइल हमले के खिलाफ एएडी मिसाइल प्रणाली का परीक्षण होना है। सागरिका नामक मिसाइल समुद्र के अंदर से प्रहार करने में सक्षम लंबी दूरी की बैलस्टिक मिसाइल है। 28 फरवरी, 2008 को इसका प्रथम सफल परीक्षण किया गया था। इस मिसाइल का व्यास एक मीटर तथा लंबाई 8.5 मीटर है। इसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर है। यह ऐसी क्रूज मिसाइल है जो जमीन से समानान्तर उड़ते हुए सैकड़ों किलोमीटर तक पीछा करके किसी भी जमीनी लक्ष्य को ध्वस्त कर सकती है।
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योजना के मुताबिक स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी अरिहंत को सागरिका से लैस करके 2014 तक नौसैनिक बेड़े में शामिल किया जाना है। भारत के पास अभी तक पनडुब्बी से दागी जाने वाली लंबी दूरी की मिसाइल नहीं है। इस तरह की मिसाइल अभी तक केवल अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन व फ्रांस के पास है। सागरिका की सफलता के बाद भारत इस श्रेणी का छठा देश बन जाएगा। भारत का रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन 700 किलोमीटर की क्षमता वाली के-15 एवं 3500 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली के-4 मिसाइलों पर भी काम कर रहा है। सामुद्रिक क्षेत्र के साथ-साथ जमीन और आकाश में बड़ी ताकत बनने के लिए भारत को नई आधुनिक मिसाइलों की जरूरत है। इसके लिए ब्रह्मोस मिसाइल से तीन गुना से भी ज्यादा दूरी तक मार करने वाली क्रूज मिसाइल निर्भय का विकास किया जा रहा है। इसकी मारक क्षमता 1000 किलोमीटर तक होगी। डीआरडीओ ने इसके लिए प्रणोदन प्रणाली का डिजाइन तैयार कर लिया है। इस चरण तक पहुंचने के बाद इसका प्रदर्शन किया जाएगा। निर्भय का डिजाइन डीआरडीओ के बेंगलूर स्थित एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेबलिश्मेंट ने तैयार किया है। यह दो चरणों वाली मिसाइल है। बूस्टर इंजन के द्वारा इसके पहले चरण को जमीन से दागा जाता है और दूसरा चरण टर्बो इंजन द्वारा संचालित होता है। इस मिसाइल के सिस्टम, सब सिस्टम, गाइडेंस और कंट्रोल के सॉफ्टवेयर तैयार कर लिए गए हैं। इसे डीआरडीओ की एडवांस्ड सिस्टम प्रयोगशाला ने तैयार किया है। फिलहाल इसके एकीकरण का काम चल रहा है।
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अमेरिका की टॉमहाक मिसाइल का जवाब मानी जाने वाली निर्भय मिसाइल आवाज से कम गति पर चलने वाली एक सब सोनिक क्रूज मिसाइल है। धरती से सटकर चलने वाली यह मिसाइल दुश्मन की निगाह से बचकर हमला करती है। इस मिसाइल का प्रहार एकदम सटीक होता है। यह काफी लंबे समय तक हवा में रह सकती है। लक्ष्य तक बढ़ने के लिए इसके भीतर ही नेवीगेशन सिस्टम लगा है। यह 24 तरह के वारहेड्स ले जा सकती है। यह बहु उपयोगी क्रूज मिसाइल होगी। यह मिसाइल एक साथ कई लक्ष्यों से निपट सकती है और कई लक्ष्यों के बीच में किसी खास लक्ष्य के चारो तरफ घूमकर उस पर हमला करने में सक्षम है। इसे तीनों सेनाओं की जरूरतों के मद्देनजर तैयार किया जा रहा है। एएडी पूर्ण रूप से स्वदेश निर्मित सुपरसोनिक मिसाइल है। इस मिसाइल को द्विस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली की योजना के तहत विकसित किया गया है। 50 किलोमीटर की उंचाई तक शत्रु की मिसाइल को मार गिराने की क्षमता वाली इंटरसेप्टर मिसाइल को एंडो एटमोस्फेयर (अंत: वायुमंडलीय) कहा जाता है। यह दिशासूचक प्रणाली, हाईटेक कम्प्यूटर व इलेक्ट्रोमेकेनिकल एक्टीवेटर से सुसज्जित है। इसका अपना मोबाइल लांचर, सिक्योर डाटालिंक, आंतरिक संचालन प्रणाली तथा राडार है। यह तेज गति के साथ दुश्मन की मिसाइल को अचूक निशाने में ले लेती है।
लेखक डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव सैन्य विज्ञान विषय के प्राध्यापक हैं
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Tag:भारत ,मिसाइल तरकश , पनडुब्बी ,बैलेस्टिक मिसाइल सागरिका , निर्भय क्रूज मिसाइल , टॉमहाक मिसाइल
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