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सीनियरों पर टिका है सीरीज का भविष्य

जागरण मेहमान कोना
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टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम की साख के लिहाज से वक्त तेजी से बदला है। एक वक्त था, जब भारतीय पिचों पर मैच शुरू होने से पहले ही भारतीय टीम की जीत पक्की मान ली जाती थी। एक वक्त था, जब भारत के बल्लेबाज अपनी पिचों पर पैर जमाते थे तो फिर वहीं जम जाते थे, लेकिन अब तो बड़े-बड़े नाम अपनी पिचों पर संघर्ष करते दिख रहे हैं। भारतीय स्पिन गेंदबाजी में भी वह दम नहीं रहा, जो कभी हुआ करता था। जाहिर है, अब उन्हीं पिचों पर भारतीय टीम की दुगर्ति शुरू हो गई है। ऐसे ही मुश्किल वक्त में इस साल की पहली और सबसे अहम टेस्ट सीरीज शुरू होने जा रही है। हर कोई जानता है कि हाल के दिनों में टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम का प्रदर्शन शर्मनाक रहा है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में 4-0 से बुरी तरह हारने के बाद भारतीय टीम अपनी पिचों पर भी इंग्लिश टीम से 2-1 से हारी है। ऐसे में हर कोई इस बात को समझ रहा है कि कंगारुओं के खिलाफ हो रही सीरीज में जीत हासिल करना भारत के लिए कठिन चुनौती है। पहले दो टेस्ट मैचों के लिए चुनी गई भारतीय टीम में शिखर धवन, अजिंक्य रहाणे, भुवनेश्वर कुमार और अशोक डिंडा ये चार खिलाड़ी ऐसे हैं, जिनका टेस्ट करियर अभी शुरू ही नहीं हुआ है। रवींद्र जडेजा ने सिर्फ एक टेस्ट मैच खेला है।

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विराट कोहली, आर अश्विन, मुरली विजय और चेतेश्वर पुजारा के तौर पर चार खिलाड़ी ऐसे हैं, जिन्होंने 15 टेस्ट मैच भी नहीं खेले हैं। जाहिर है, आधी से ज्यादा टीम यंगिस्तान की श्रेणी में आती है। अब रह गए बाकी बचे छह खिलाड़ी। जाहिर है, कंगारुओं के सामने अब जीत दिलाने के लिए कप्तान धौनी के पास भरोसा करने के लिए कुछ ही खिलाड़ी हैं। इनमें खुद धौनी भी शामिल हैं। खुद को छोड़कर जिन तीन खिलाडि़यों पर धौनी सबसे ज्यादा भरोसा कर सकते हैं, वे हैं सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और हरभजन सिंह। इस अहम सीरीज के शुरू होने से पहले कप्तान धौनी को इन खिलाडि़यों के साथ बैठना होगा। धौनी और वीरेंद्र सहवाग के बीच तल्ख रिश्तों की खबरें भी अक्सर आती रहती हैं, लेकिन अगर कोई तल्खी है तो भी धौनी को ओल्ड इज गोल्ड की कहावत पर भरोसा करना ही होगा। कंगारुओं के खिलाफ कठिन चुनौती से बाहर निकालने का रास्ता इन्हीं खिलाडि़यों के बल्ले या इनकी गेंदों से होकर निकलता है।

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नए खिलाडि़यों पर डालें कम दबाव अगर भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हार जाती है तो क्या आप शिखर धवन को जिम्मेदार मानेंगे? नहीं। उन्होंने तो अभी टेस्ट क्रिकेट खेला ही नहीं है। क्या आप मुरली विजय या रवींद्र जाडेजा को जिम्मेदार मानेंगे? उन्हें भी जिम्मेदार नहीं माना जा सकता, क्योंकि उनके पास भी टेस्ट क्रिकेट का कोई लंबा चौड़ा तजुर्बा नहीं है। हकीकत तो यह है कि आप चेतेश्वर पुजारा और विराट कोहली को भी जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते, क्योंकि ये दोनों ही खिलाड़ी पिछले साल लगातार अच्छी फॉर्म में थे और अभी से ही उनके कंधे पर ऑस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के खिलाफ बड़ी जिम्मेदारी डालना ठीक नहीं होगा। अब गेंदबाजी की बात करते हैं। ईशांत शर्मा के पास अनुभव है, लेकिन वह लय बरकरार नहीं रख पाते। उनके अलावा तेज गेंदबाज के तौर पर टीम में शामिल किए गए अशोक डिंडा और भुवनेश्वर कुमार को अपने टेस्ट करियर की शुरुआत करनी है। स्पिन डिपार्टमेंट में अश्विन और प्रज्ञान ओझा ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में अच्छी शुरुआत तो की, लेकिन फिर वह औसत स्पिनर दिखने लगे। जाहिर है, इन सभी खिलाडि़यों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद रहेगी। लेकिन बात इन खिलाडि़यों के प्रदर्शन से आगे की है। ये बात है कप्तान धौनी समेत भारत के उन चार खिलाडि़यों की, जो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में भारतीय टीम की राह को तय करेंगे। कप्तान महेंद्र सिंह धौनी, सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और हरभजन सिंह, ये क्रिकेट के सिर्फ भारी भरकम नाम ही नहीं हैं। बल्कि अगर मौजूदा भारतीय टीम में इन खिलाडि़यों के रोल को देखा जाए और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इनके पुराने प्रदर्शन पर गौर किया जाए तो समझ आ जाएगा कि ओल्ड इस गोल्ड मानने की मजबूरी क्यों है। वीरेंद्र सहवाग ने अगर टेस्ट मैच में दो सेशन बल्लेबाजी कर दी तो भारत के मध्य क्रम से दबाव हट जाएगा, क्योंकि स्कोर बोर्ड पर अच्छे खासे रन जमा हो चुके होंगे। ऑस्ट्रेलिया सचिन तेंदुलकर और हरभजन सिंह की पसंदीदा विपक्षी टीम है। कप्नान धौनी भी इस फेहरिस्त में इसलिए शामिल हो जाते हैं, क्योंकि उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अच्छे नतीजे हासिल किए हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2008 में वीरेंद्र सहवाग की एडिलेट टेस्ट की बल्लेबाजी कोई नहीं भूल सकता। दूसरी पारी में वीरेंद्र सहवाग को छोड़कर कोई भी भारतीय बल्लेबाज क्रीज पर टिक नहीं पाया था, लेकिन वीरू ने 151 रनों की शानदार पारी खेलकर अपने दम पर टीम की हार को टाल दिया था। सचिन पर रहेगी सभी की नजर सचिन तेंदुलकर को तो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रन बनाने में मजा आता है। सचिन तेंडुलकर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 11 शतक लगाए हैं। मेलबर्न, सिडनी, ब्रिसबेन या पर्थ से लेकर भारतीय सरजमीं पर सचिन का बल्ला कंगारुओं के खिलाफ जमकर बोला है।

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सचिन तेंडुलकर ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने करीब 54 के करियर औसत से ज्यादा 57 की औसत से रन बनाए हैं। ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के खिलाफ सचिन का आक्रामक रुख रहता है। वहां के लोग उन्हें महान बल्लेबाज की श्रेणी में शुमार करते हैं। सचिन यहां तक कह चुके हैं कि ऑस्ट्रेलिया में जब वह आउट होकर पवेलियन लौट रहे होते हैं तो कई बार भूल जाते हैं कि वह शतक बनाकर आ रहे हैं या फिर शून्य पर, क्योंकि दर्शकों का बर्ताव हमेशा इज्जत भरा ही होता है। जाहिर है, अपनी जमीन पर सचिन और बेहतर प्रदर्शन करना चाहेंगे। इसके अलावा हरभजन सिंह का भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ प्रदर्शन लाजवाब रहा है। कोलकाता टेस्ट में बल्ले से अगर वीवीएस लक्ष्मण और द्रविड़ ने जलवा दिखाया था तो गेंदबाजी में हरभजन सिंह ही हीरो थे। कोलकाता टेस्ट मैच में उनकी हैट्रिक और 13 विकेट उनके अब तक के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। पिछले ऑस्ट्रेलिया दौरे को छोड़ दें तो कंगारुओं के खिलाफ महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी भी अच्छी रही है। इसके अलावा बैटिंग ऑर्डर में उनका रोल इस सीरीज में काफी अहम रहने वाला है। धौनी जब बल्लेबाजी करने आते हैं, तब कई बार टीम को ऐसे बल्लेबाज की जरूरत होती है जो नई गेंद के सामने टिक सके। कप्तानी के लिहाज से धौनी का रोल सबसे अहम होगा। उन्हें सही प्लेइंग 11 चुनना होगा। ऐसे वक्त में जब टीम में ज्यादा से ज्यादा युवा खिलाडि़यों की वकालत की जा रही हो, ओल्ड इज गोल्ड की थ्योरी पर यकीन करना भले ही बहुत सकारात्मक न हो, लेकिन फिलहाल हालात ऐसे ही हैं कि भारत को अगर ऑस्ट्रेलिया को हराना है तो टीम के पुराने धुरंधरों पर भरोसा दिखाना होगा। आखिर में एक अहम बात यह भी कि इन चारों खिलाडि़यों को भी अपनी उपयोगिता को समझना होगा। वीरेंद्र सहवाग और हरभजन सिंह करियर के उस मोड़ पर हैं, जहां एक और सीरीज में नाकामी उनके करियर को खत्म कर सकती है। सचिन तेंडुलकर अगर पिछली तमाम सीरीजों की तरह ही फ्लॉप हुए तो उन पर टेस्ट क्रिकेट से भी संन्यास लेने का दबाव बढ़ेगा और धौनी अगर फ्लॉप होते हैं तो उनसे कप्तानी लिए जाने की वकालत करने वाले सुर एक बार फिर काफी मजबूत हो जाएंगे।

इस आलेख के लेखक शिवेंद्र कुमार सिंह हैं


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Tags: cricket match, test cricket match, Sachin Tendulkar, सचिन तेंदुलकर, टेस्ट क्रिकेट, भारतीय टीम

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