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बजट इतिहास के सुनहरे अध्याय वायसरीगल काउंसिल के वित्त सदस्य के तौर पर जेम्स विल्सन 1859 में भारत पहुंचे। उन्हें कर ढांचा और कागजी मुद्रा तैयार करने के साथ-साथ देश की राजकोषीय सेहत सुधारने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। दरअसल, 1857 की महान क्रांति के बाद देश दिवालिया होने के कगार पर पहुंच चुका था। भारत आने के एक साल के अंदर ही विल्सन की पेचिश के कारण मौत हो गई, लेकिन इससे पहले वह भारत में आय कर लागू कर चुके थे। जैसाकि कौटिल्य हमें बता चुके हैं, कराधान और युद्ध में नजदीकी रिश्ता है। आयकर और युद्ध का भी नजदीकी संबंध है। सबसे पहले इंग्लैंड में 1799 में नेपोलियन से युद्ध के कारण आर्थिक दशा को सुधारने के लिए आयकर लागू किया गया था। बजट शब्द मूल रूप से फ्रांसिसी बॉगेट लिया गया है, जिसका अर्थ है पर्स या लैदर बैग। भारत में आज भी हमारे वित्त मंत्री बजट पेश करते समय ब्रीफकेस के साथ हाजिर होते हैं। विल्सन के बाद के वायसरॉय काउंसिल के तमाम वित्त सदस्यों ने तब तक सरकार का वार्षिक वित्तीय लेखा-जोखा पेश किया, जब तक निर्वाचित वित्त मंत्री ने यह जिम्मेदारी नहीं संभाल ली। बहुत से लोगों का मानना है कि यह मुस्लिम लीग नेता और 1946 में अंतरिम सरकार में वित्त मंत्री लियाकत अली खान का चर्चित बजट ही था, जिसने कांग्रेस नेताओं को देश के विभाजन पर मन बनाने पर मजबूर किया।
खान ने एक लाख से अधिक के व्यापारिक लाभ पर 25 प्रतिशत कर का प्रस्ताव रखा था। इसके अलावा, उन्होंने पूंजीगत लाभ के साथ-साथ कर वंचना पर अंकुश के लिए एक आयोग की स्थापना भी की थी। इन प्रस्तावों से भारत के शीर्ष उद्योगपति उखड़ गए। गौरतलब है कि उस समय घनश्याम दास बिड़ला और जमनालाल बजाज सरीखे अधिकांश बड़े उद्योगपतियों का ही कांग्रेस के पार्टी फंड में मुख्य योगदान था। हालांकि पाकिस्तान के राष्ट्रवादी इतिहास में लियाकत अली खान के इस बजट का स्मरण गरीब लोगों के महान बजट के रूप में बड़े सम्मान से किया जाता है। लियाकत अली खान ने खर्च पर कड़े अंकुश लगाने का प्रस्ताव भी रखा था। इस पर सरदार पटेल ने चुटकी ली कि खान की आपत्तियों के कारण मैं एक चपरासी तक नियुक्त नहीं कर पाऊंगा। इससे कांग्रेस नेता ने इस प्रस्ताव का विरोध शुरू कर दिया। लियाकत अली खान का जन्म हरियाणा के करनाल में शाही परिवार में हुआ था और उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ा था। वह पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने और उनकी हत्या उसी मैदान पर हुई थी, जहां 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या हुई थी। 1947 में बजट का मसौदा नई दिल्ली के तिलक मार्ग स्थिति उन्हीं की हवेली में तैयार किया गया था। आज इस भवन में पाकिस्तान उच्चायुक्त का आधिकारिक निवास है। यद्यपि अभी इस बारे में जानकारी नहीं है कि बजट पर उनकी पत्नी गुले राणा का कितना प्रभाव पड़ा था, जो आइपी कॉलेज में अर्थशास्त्र पढ़ाती थीं। आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पहले वित्त मंत्री के रूप में आरके खणमुखम चेट्टी को चुना। यह एक विवादास्पद फैसला था, क्योंकि राजनीतिक दृष्टिकोण में चेट्टी का झुकाव ब्रिटिश राज की ओर था। जल्द ही चेट्टी को इस्तीफा देना पड़ा, क्योंकि उन पर कोयंबटूर की कुछ मिलों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगा था। उनकी विदाई के बाद जॉन मिथाई को फिर से बुलाया गया। वह लियाकत अली खान से पहले भी अंतरिम सरकार में वित्त मंत्री रह चुके थे। चेट्टी से चिदंबरम तक देश में 25 व्यक्ति वित्त मंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। यह एक विचित्र संयोग है कि वर्तमान राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ही वित्त मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं।
स्वतंत्र भारत के 66 सालों के दौरान 80 से अधिक बजट पेश किए जा चुके हैं, इनमें अंतरिम बजट भी शामिल हैं। अब तक सबसे अधिक दस बार बजट पेश किए हैं मोरारजी देसाई ने। गांधी परिवार से तीन प्रधानमंत्रियों- जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने लोकसभा में बजट पेश किया है। अब तक दो वित्त मंत्री आर वेंकटरमन और प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बने हैं। चार वित्त मंत्री-मोरारजी देसाई, चरण सिंह, वीपी सिंह और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे हैं। वित्त मंत्री का कार्यभार संभालने वाली एकमात्र महिला इंदिरा गांधी हैं, जिन्होंने 1969 और 1971 में प्रधानमंत्री के साथ-साथ वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार संभाला था। निस्संदेह अब तक का सबसे ऐतिहासिक बजट डॉ. मनमोहन सिंह ने 1991 में पेश किया था, जब उन्होंने आर्थिक उदारवाद की प्रक्रिया का सूत्रपात कर देश की अर्थव्यवस्था की दशा-दिशा ही बदल कर रख दी थी। 1991 के बाद से उनके अलावा चार और वित्त मंत्रियों-जसवंत सिंह, यशवंत सिन्हा, प्रणब मुखर्जी और पी. चिदंबरम ने बजट पेश किया है, जो इस साल के बजट के दौरान मौजूद रहेंगे। पहले वित्त मंत्री चेट्टी की तरह ही चिदंबरम भी नात्तुकोत्ताई चेट्टियार जाति से संबंधित हैं, जो तमिलनाडु के साथ-साथ पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में कुशाग्र व्यापारिक बुद्धि के लिए जाने जाते हैं। जेम्स विल्सन एक उदारवादी अर्थशास्त्री और राजनीतिक विचारक होने के साथ-साथ प्रखर उद्यमी भी थे। वह स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक और विश्व की सर्वाधिक प्रभावशाली पत्रिका द इकोनोमिस्ट के संस्थापक थे। 2007 में कर अधिकारी सीपी भाटिया ने भारत के कर इतिहास पर शोध के दौरान कोलकाता के मलिक बाजार कब्रिस्तान में जेम्स विल्सन की कब्र ढूंढ़ निकाली। उनकी कब्र आज भी उपेक्षित हो सकती है, किंतु बजट के दिन आयकर पर चिदंबरम की घोषणाओं का हम सबको बेताबी से इंतजार रहेगा।
इस आलेख के लेखक अनिंद्य सेनगुप्ता हैं
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Tags: बजट इतिहास, बजट, राजनीतिक दृष्टिकोण, वित्त मंत्री, प्रधानमंत्री, budget 2013, budget live
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